Surya Grahan and Solar Eclipse

Surya Grahan: सूर्य ग्रहण और चन्द्र ग्रहण में क्या करें और क्या ना करें What to do in solar eclipse 20

ज्योतिष

सूर्य ग्रहण (Surya Grahan) और चन्द्र ग्रहण (Chandra Grahan) में क्या करें और क्या ना करेंहमारे समाज में सूर्य (Surya Grahan, Solar Eclipse) और चंद्रग्रहण (Chandra Grahan) से जुड़ी कई मान्यताए हैं। माना जाता है कि सूर्य ग्रहण (Surya Grahan) के दौरान सूर्य से नकारात्‍मक ऊर्जा निकलती है और सीधे पृथ्‍वी पर आती हैं। इसलिए इस समय केवल गुरुमंत्र, ईष्टमंत्र अथवा भगवन्नाम जप और ध्यान करने की ही अनुमति होती है। लोग अपने घरों में रहकर ग्रहण के अशुभ प्रभाव से बचने का प्रयास करते हैं। ग्रहण के स्पर्श से पहले स्नान, मध्य के समय जप, ध्यान, दान तथा अंत में सचैल (वस्त्र सहित) स्नान करना चाहिए। अब विस्तार से चर्चा करते है कि ग्रहण से पहले क्या करें? ग्रहण के समय क्या करें और क्या ना करें? ग्रहण के बाद क्या करें? गर्भवती महिलाओं को क्या सावधानी बरतनी चाहिए? और ग्रहण काल में किसका जाप करें और उसकी विधी क्या है?

ग्रहण शुरू होने से पहले क्या करें? (What to do before the eclipse begins)

सूतक काल के समय कई ऐसे काम होते है जिन्हें करने की मनाही होती है। विस्तार से जानते है-

  • ग्रहण के कुप्रभाव से खाने-पीने की वस्तुएँ दूषित न हों इसलिए सभी खाद्य पदार्थों एवं पीने के जल में तुलसी का पत्ता अथवा कुश डाल दें।
  • यदि आपके घर में मंदिर है तो सूतक लगते ही उसके कपाट बंद कर दें या फिर मंदिर को पर्दे से ढक दें।
  • ग्रहण के पहले और ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान करें।
  • ग्रहण से कम से कम दो घंटे पहले भोजन करें। यदि आप गर्भवती हैं, वृद्ध हैं, अस्वस्थ हैं या किसी और विशेष परिस्थिति में जहां लगातार जल की आवश्यकता होती है, तो आप उबला हुआ पानी ठंडा करने के बाद पी सकते हैं। अपनी सुरक्षा के लिए, आप एंटीवायरल गुणों से युक्त तुलसी अर्क (एक हर्बल दवा जो आमतौर पर खांसी और जुकाम के लिए इस्तेमाल की जाती है) को पानी में मिला कर पी सकते हैं। आप उस समय ऊर्जा के लिए किशमिश जैसे सूखे मेवों का भी सेवन कर सकते हैं।
  • सूतक काल में खाना, पीना, सोना, पूजा-पाठ करने की मनाही होती है. मंदिर के द्वार ग्रहण खत्म होने के बाद ही खोले जाते है।
  • जहां अनाज वगैरह स्टोर करके रखा जाता है उसे अच्छे से बन्द कर ले और हो सके तो किचन के दरवाजे को बन्द करके उस पर गोबर या गेरू लगा देना चाहिए।
  • ग्रहण के दिन पत्ते, तिनके, लकड़ी और फूल नहीं तोड़ने चाहिए।
  • सूर्यग्रहण (Surya Grahan) में ग्रहण से चार प्रहर (12 घंटे) पूर्व भोजन कर ले। बूढ़े, बालक, रोगी और गर्भवती महिलाएँ डेढ़ प्रहर ( साढ़े चार घंटे) पूर्व तक खा सकते हैं ।
  • ग्रहणकाल प्रारम्भ होने के पूर्व घर के ईशान कोण में गाय के घी का चार बातीवाला दीपक प्रज्वलित करें एवं घर के हर कमरे में कपूर का धूप कर दें।

 

सूर्यग्रहण (Surya Grahan) के दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं करें?

सूर्य ग्रहण में क्या करें? (Do these things during solar eclipse / Surya Grahan)
  • भगवान वेदव्यास जी ने परम हितकारी वचन कहे हैं- सामान्य दिन से चंद्रग्रहण में किया गया पुण्य कर्म (जप, ध्यान, दान आदि) 1 लाख गुना और सूर्यग्रहण (Surya Grahan) में 10 लाख गुना फलदायी होता है। यदि गंगाजल पास में हो तो चंद्रग्रहण में 1 करोड़ गुना और सूर्यग्रहण (Surya Grahan) में 10 करोड़ गुना फलदायी होता है।
  • ग्रहण के समय गुरु मंत्र अथवा ईष्टमंत्र का जप अवश्य करना चाहिए। नोट- जप सम्बन्धित दिशा निर्देश विस्तार से निचे पोस्ट के अंत में पढें।
  • ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरतमंदों को वस्त्रदान करने चाहिए।
  • ग्रहण के दौरान किसी जरूरतमंद व्यक्ति को जूते-चप्पल, कंबल, छाते का दान करने से जीवन में स्थिरता और समृद्धि आती है।
सूर्य ग्रहण (Surya Grahan) के समय ये काम न करें? (Do not do these things during solar eclipse / Surya Grahan)

ग्रहण काल में खाना-पिना, हँसी-मजाक, नाच-गाना, ठिठोली, शोर मचाना आदि या किसी भी प्रकार का शुभ कार्य जैसे पूजा-पाठ आदि कार्य वर्जित होते है। विस्तार से बताते है।

  • ग्रहण के समय भगवान की मूर्ति नहीं देखनी चाहिए और न ही उन्हे छुना चाहिए।
  • ग्रहण काल में घर से बाहर ना निकले, ग्रहण की छाया से भी बचना चाहिए और ग्रहण दर्शन तो बिल्कुल भी ना करें। ग्रहण को देखने से आँखों पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
  • ग्रहण के समय कोई भी शुभ व नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए।
  • ग्रहण काल में भोजन पकाना या भोजन नहीं खाना चाहिए। माना जाता है कि खाद्य वस्तुएं ग्रहण की वजह से अपवित्र होकर जहर के समान बन जाती हैं। यदि कोई भोजन करता है तो जितने अन्न के दाने खाता है, उतने वर्षों तक नरक में वास कर पड़ता है। तथा दूसरे का अन्न खाने से 12 वर्षों का एकत्र किया हुआ सब पुण्य नष्ट हो जाता है। (स्कंद पुराण)
  • ग्रहण के समय तेल लगाना, जल पीना, केश बनाना, संभोग करना, मंजन करना, मलमूत्र का त्याग, बाल तथा वस्त्र नीचोड़ना, मैथुन, ताला खोलना आदि वर्जित हैं।
  • ग्रहण के दौरान सोने नहीं चाहिए ऐसे करने से व्यक्ति रोगी, मल त्यागने से कीड़ा, लघुशंका करने से दरिद्र होता है। ग्रहण के समय मालिश या उबटन लगाने से कुष्ठ रोग होता है। नोट- बालक वृद्ध और रोगी को छूट है।
  • ग्रहण के समय स्त्री प्रसंग करने से अगले जन्म में सूअर की योनि मिलती है।
  • ग्रहण के दौरान खुला रखा हुआ पानी न पिएं। लेकिन अगर प्यास बर्दाश्त न हो रही तो पानी पी सकते हैं लेकिन केवल ढका हुआ पानी ही पिएं। खुला हुआ पानी बिल्कुल भी न पीये।

 

ग्रहण खत्म होने के बाद क्या करें? (What to do after the eclipse/ Grahan is over)

सूर्य ग्रहण (Surya Grahan) को लेकर हिंदू धर्म की मान्‍यता है कि ग्रहण काल के बाद पवित्र नदियों में स्नान कर निर्धन को दान करना चाहिये। घर में अच्‍छे से सफाई करना चाहिये आदि विस्तार से जानते है।

  • ग्रहण के बाद यदि संभव हो तो पवित्र नदियों में स्‍नान करना चाहिये या जल में गंगाजल डालकर नहाना चाहिए। पवित्र नदियों में गंगा, यमुना, नर्मदा, गोदावरी, कावेरी आदि के नाम शामिल हैं। इन नदियों के जल के शरीर पर लगने से ग्रहण का प्रभाव खत्‍म हो जाता है। शारीरिक और मानसिक शुद्धि के लिए ग्रहण के बाद स्नान करना जरूरी बताया गया है। अगर नदी में स्नान न कर पायें तो घर पर ही नहाने के जल में पवित्र गंगाजल डाल लेना चाहिए।
  • ग्रहणकाल में स्पर्श किए हुए वस्त्र आदि की शुद्धि हेतु बाद में उसे धो देना चाहिए तथा स्वयं भी वस्त्र सहित स्नान करना चाहिए।
  • ग्रहण से घर, दुकान, प्रतिष्‍ठान भी प्रभावित होते हैं, इसलिए हमें घर का भी शुद्धिकरण करना चाहिये। कोनों में झाडू-पोंछा करना चाहिये। यदि आपके घर में पवित्र गंगाजल है तो इसका छिड़काव पूरे घर में करें। तुलसी, शमी जैसे पवित्र माने जाने वाले पौधों पर भी आप गंगाजल का छिड़काव करके घर-आंगन शुद्ध कर सकते हैं।
  • ग्रहण खत्म होने के बाद घर में जो भगवान का मंदिर है उसकी की अच्छे से सफाई करें। वहां भगवान की प्रतिमाओं को स्‍नान कराएं साथ ही भगवान के वस्त्र आदि की भी सफाई करके उन्हें नए वस्त्र पहनाएं। उसके बाद पूजा करें।
  • स्वयं स्नान के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें और दीपदान करें। इससे स्वास्थ्य पर अनुकूल असर होता है और प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है।
  • सूर्य ग्रहण (Surya Grahan) खत्‍म होने के बाद हवन करने का भी खास महत्‍व है। ऐसा माना जाता है कि ग्रहण के बाद हवन करने से पितृ प्रसन्‍न रहते हैं एवं संतान सुखी रहती है।
  • ग्रहण समाप्‍त होने के बाद निर्धन एवं जरूरतमंदों को अन्न, कपड़े और धन के दान का विशेष महत्‍व है। आप अपनी सामर्थ्‍य अनुसार कुछ भी खाद्य पदार्थ, कपड़े और धन जरूरतमंदों को दान कर सकते हैं। दान का महत्‍व पुण्‍य के समान है और ऐसा करने से पाप नष्‍ट होते हैं। ग्रहण के बाद दान करने से आप इसके नकारात्‍मक प्रभाव से बच जाते है और ज्योतिषशास्त्र के अनुसार अन्न, कपड़े और धन दान करने से जीवन की तमाम परेशानियां खत्म होने लगती हैं।
  • ग्रहण के बाद गायों को घास, पक्षियों को अन्न दान से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है।
  • ग्रहण वेध के पहले जिन पदार्थों में तुलसी की पत्तियां डाल दी जाती हैं, वे पदार्थ दूषित नहीं होते। खाद्य वस्तुओं में डाले गये कुश एवं तुलसी को निकाल देना चाहिए। पके हुए अन्न का त्याग करके उसे गाय, कुत्ते को डालकर नया भोजन बना कर खाना चाहिए।
  • ग्रहण पूर्ण होने पर सूर्य या चन्द्र जिसका ग्रहण हो उसका शुद्ध बिम्ब देखकर भोजन करना चाहिए।
  • ग्रहण के बाद पुराना पानी फेक देना चाहिए। नया और ताजा पानी भरकर पीना चाहिए।
  • ग्रहण के तुंरत बाद तली-भुनी चीजें, नॉन वेज, मसालेदार खाना, फास्ट फूड, खाली पेट चाय/ कॉफी का सेवननही करना चाहिए केवल सात्विक आहार ही लेना चाहिए।

 

गर्भवती महिलाओं के लिए आवश्यक निर्देश- (Pregnant women should take care of these things during  eclipse/ Grahan)

सूर्य ग्रहण (Surya Grahan) और चन्द्र ग्रहण (Chandra Grahan) में गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। नही तो होने वाले बच्चे पर ग्रहण का बुरा (नकारात्मक) प्रभाव पडता है। गर्भवती महिला को ग्रहण के समय विशेष सावधान रहना चाहिए। गर्भवती माताओं-बहनों के लिए ग्रहणकाल में विशेष ध्यान रखने योग्य आवश्यक बातें।

  • ग्रहणकाल में गले में तुलसी की माला या चोटी में कुश धारण कर लें।
  • सूतक लगने के बाद से ही गर्भवती स्त्रियों को घर से बाहर दूसरे शब्दो में सूर्य की रोशनी में नहीं निकलना चाहिए।
  • गर्भिणी बालों पर लगी पिन या नकली गहने भी उतार दें।
  • सूर्य ग्रहण (Surya Grahan) या चन्द्र ग्रहण (Chandra Grahan) के समय गर्भवती चाकू, कैंची जैसी चीजों का प्रयोग न करे क्योंकि इससे शिशु के होंठ कटने की सम्भावना होती है।
  • सूई, पेन, पैन्सिल जैसी नुकीली चीजों का उपयोग अत्यंत हानिकारक है, क्योंकि इसका सीधा असर बच्चे पर पड़ता है। इससे शिशु के हृदय में छिद्र होने की सम्भावना रहती है।
  • किसी भी लोहे की वस्तु, दरवाजे की कुंडी आदि को स्पर्श न करें, न खोले और न ही बंद करें ।
  • ग्रहणकाल में सिलाई, बुनाई, सब्जी काटना या घर से बाहर निकलना व यात्रा करना हानिकारक है। इससे होने वाले बच्चे के शारीरक दोष होने के संभावना होती हैं।
  • ग्रहणकाल में पानी पीने से गर्भवती स्त्री के शरीर में पानी की कमी (डिहाइड्रेशन) हो जाती है, जिस कारण बालक की त्वचा सूख जाती है।
  • सूर्य ग्रहण (Surya Grahan) के दौरान सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणें गर्भस्थ शिशु के लिए हानिकारक होती हैं।
  • गर्भवती ग्रहणकाल में अपनी गोद में एक सूखा हुआ छोटा नारियल (श्रीफल) लेकर बैठे और ग्रहण पूर्ण होने पर उस नारियल को नदी अथवा अग्नि में समर्पित कर दे।
  • ग्रहण से पूर्व देशी गाय के गोबर व तुलसी-पत्तों का रस (रस न मिलने पर तुलसी-अर्क का उपयोग कर सकते हैं) का गोलाई से पेट पर लेप करें। देशी गाय का गोबर न उपलब्ध हो तो गेरू मिट्टी का लेप करें अथवा शुद्ध मिट्टी का ही लेप कर लें। इससे ग्रहणकाल के दुष्प्रभाव से गर्भ की रक्षा होती है।
  • गर्भवती स्त्रियों को भी ग्रहण के बाद स्नान करना चाहिए। ऐसा नहीं करने से शिशु को त्वचा संबंधी परेशानियां आ सकती हैं। स्त्रियां सिर धोए बिना भी स्नान कर सकती हैं।
  • स्नान करने के बाद भगवान के सामने धूप-दीप करनी चाहिए और कुछ एर्जेटिक चीजें खाएं।
  • गर्भवती महिला को ग्रहण के समय विशेष सावधान रहना चाहिए। 3 दिन या 1 दिन उपवास करके स्नान-दानादि का ग्रहण में महाफल है किंतु संतानयुक्त गृहस्थ को ग्रहण और संक्रांति के दिन उपवास नहीं करना चाहिए।
  • ग्रहण के दौरान सोएं नहीं बल्कि अपने आराध्य का ध्यान करें।

 

ग्रहण में जप कैसे और किसका करें- (What do you chant/ Mantra Japa during an eclipse? )

सूर्य ग्रहण (Surya Grahan) या चन्द्र ग्रहण (Chandra Grahan) से 5 मिनिट पूर्व आसन लगाकर बैठ जाईऐ १२ बार सामान्य प्रणायाम मतलब सांस लीजिए रोकिए और छोड़ दीजिए १२ बार अनुलोम विलोम करें। फिर अपने ईष्ट का जाप करें। जप न करने से मंत्र को मलिनता प्राप्त होती है। आपको न माला से जाप करना है न दीपक जलाना है। जाप से पहले स्नान करना है जाप के बाद स्नान करना है। यह परिश्रम आपको बहुत सारे कष्टो से बचाऐगा । हमेशा आपकी रक्षा करेगा।

  • ग्रहण के समय गायत्री मंत्र, गुरु मंत्र, सूर्य मंत्र, नारायण मंत्र, ईष्टमंत्र का जप अथवा भगवन्नाम जप, ओमकार आदि का जप सर्वोत्तम माना गया है। ऐसा करने से आपके कुंडली में मौजूद सभी ग्रहों के अशुभ प्रभाव दूर होते हैं।
  • जिसको भय लगता है वह हनुमान चालीसा का पाठ करें।
  • जिसको धन से संबंधित समस्या है बह लक्षमी जी का जाप करें।
  • आरोग्यता के लिए महामृत्युंजय का जाप करें।
  • विद्या के लिए सरस्वती जी का जप करें।
  • इस दौरान किसी मंत्र की सिद्धी, रामायण, सुंदरकांड का पाठ, तंत्र सिद्धी, कीर्तन आदि भी कर सकते हैं।
  • सूर्य ग्रहण (Surya Grahan) के दौरान विशेष रूप से ध्यान करने की सलाह दी जाती है।
  • ग्रहण के दौरान आप ॐ नमः शिवाय का जाप भी कर सकते है।

मंत्र गुरू या आचार्य से आज्ञा लेकर ही करें। जिसने गुरू दीक्षा नही ली है वह मन मे शिव को गुरू मानकर उनकी आज्ञा लेकर जाप कर सकते है।

नोट- आपने जिस भी शक्ति का मंत्र जाप किया है उस मंत्र का नित्य प्रति एक माला जाप करें। एक माला नही कर सकते तो कम से कम २१ बार अवश्य जाप करें। यह प्रयोग बिल्कुल रामबाण कि तरह आपकी रक्षा करेगा।

 

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1 thought on “Surya Grahan: सूर्य ग्रहण और चन्द्र ग्रहण में क्या करें और क्या ना करें What to do in solar eclipse 20

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