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कोरोना के समय में नेताओं की रैलियां जरुरी है या बच्चो की शिक्षा?

कोरोना भारत राजनीति

कोरोना वायरस के केस दिन प्रतिदिन तेजी से बढते ही जा रहा है। जैसे की अब कोविड का second phase शुरु हो चुका है और vaccine लगने भी शुरु हो गये है vaccine के बाद भी कई लोग कोरोना positive हो रहे है। सरकार जगह जगह curfew और Lockdown लगा रही है, लोगो को घरो से बाहर निकलने से मना कर रही है। सबसे अहम बात की स्कूल कॉलेज बंद करवा दिए गए है। पर क्या यह कोरोना वायरस सिर्फ आम लोगों के लिए ही है? हमारे नेताओं के लिए यह कोरोना कुछ नहीं है। क्योंकि रैलियाँ तो रुकने का नाम नहीं ले रही।

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क्या रैलियां बच्चो के भविष्य से अधिक महत्व रखता है?

एक तरफ हमारे नेता हमें कोरोना वायरस से बचने के लिए घरों में रहने की बात करते है तो दूसरे ही क्षण वे खुद अपने इलेक्शन कैम्पेन के लिए रैलियों पर रैलियां करते नजर आते है। इन रैलियों में लाखो में लोग शामिल होने के लिए आते है, ऐसे इनमें से कुछ ही लोग सही तरीके से मास्क का इस्तेमाल करते है। इन रैलियों कै लोग बङे चाव से देखने आते है, अब तक जितने भी रैलियां हुई है ना तो वहां Social Distancing का पालन किया गया है ना ही temperature चेक किया गया किसी का और ना ही  sanitization पर ध्यान दिया गया। पर क्या यह सब चीजें ठीक है?

कोरोना वायरस ने सबको मुश्किल परिस्थिति में डाल रखा है। सबसे मुश्किल परिस्थिति में तो बच्चे रह रहे है। कोरोना वायरस के केस तेजी से बढने के कारण सारे स्कूल कॉलेजों को बंद कर दिया जा रहा है। अब online classes उपलब्ध कराये जा रहा है। लेकिन क्या सिर्फ online classes देना ही सही रास्ता है। इसके वजह से बच्चों को काफी परेशानियां झेलनी पङी। क्लास तो online चलने लगी, पर कई ऐसे भी बच्चे है जिन्हे online classes में पढने में असुविधाओं का सामना करना पङ रहा है। केवल यहीं नही प्रैक्टिकल के क्लास बंद कर दिए गए है, कुछ institutes के बच्चे तो प्रैक्टिकल नहीं होने के वजह से अपने ही संस्थान के सामने इकट्ठा होकर classes offline करवाने के विरोध कर रहे है। बोर्ड की परीक्षा तक सरकार रद्द कर रही है। कई institutes तो open book exam ले रहे है। इस तरह के परीक्षा करवाने से बच्चे कुछ नहीं सीख पाते है।

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पिछले साल कोरोना वायरस का असर ऐसा दिखा था की 10 और 12 कक्षा के बच्चों को बिना परीक्षा के ही पास करवाना पङा था। अगर हालात नही सम्भले तो इस बार भी कुछ ऐसा ही करना पङ सकता है, लेकिन बार बार ऐसा करने से भी बच्चों पर इसका negative impact भी पङ सकता है। कोरोना वायरस के वजह से बार बार परीक्षा reschedule करना या फिर postpone करने से बच्चों मे पढने की रुची हट सकती है और वह अपना पूरा समय व्यर्थ के कामों मे व्यतीत करने लगेगे।

सरकार को इस समय क्या करना चाहिए?

सरकार को इस कोरोना काल के समय में बच्चो के भविष्य के लिए कुछ अहम फैसले लेने होगे। COVID guidelines का पालन आम मनुष्यों के साथ साथ नेताओ को भी सही तरीके से पालन करना चाहिए। शादी विवाह जैसे समारोह में भीङ को कम करने एवं कोरोना वायरस ज्यादा ना फैले जिस वजह से मेहमानो कि संख्या कम कर दी गयी है ठीक उसी तरह से सरकार को सरकारी रैलियों के लिए भी guidelines का पालन करना आवश्यक कर देना चाहिए। यदि रैलियां इतनी important है तो बच्चो का भविष्य उनसे कई ज्यादा महत्व रखते है। जब हर चीजों मे रोक लग रही है तो सरकार को अपने नेताओं के रैलियों पर भी रोक लगाना चाहिए। जनता वही करेगी जैसा की उनके नेता कर रहे हो। अगर नेता ही protocol तोङेगे तो जनता भला क्यों ही नियम मानने जायेगी।

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