Guru Bhakt Aaruni ki Motivational Hindi Story

Motivational Hindi Story 2020: गुरु भक्त आरुणि की कहानी।। Guru Bhakt Aaruni ki Kahani

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गुरु भक्त आरुणि की कहानी (Guru Bhakt Aaruni ki New Kahaniyan in Hindi):- Motivational Hindi Story

“गुरुर्ब्रह्मा गुरु र्विष्णु र्गुरु र्देवो महेश्वर ।
गुरु साक्षात पर ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥

अर्थ- “गुरु ही ब्रह्मा है, गुरु ही विष्णु है, गुरु ही महेश्वर हे और गुरु ही साक्षात परब्रह्म है। उन गुरु को नमस्कार है”।

अगर जीवन में सही गुरू मिल जाये और उन गुरू पर पूर्ण श्रद्धा हो, पूर्ण विश्वास हो तो बेडा पार ही हो जायेगा। गुरू के वचन और आज्ञा पालन करने वाले के लिए जीवन मे कोई भी काम कठिन नही है। सबसे अधिक विश्वसनीय, प्रेमास्पद श्रीसद्गुरु ही हैं, जो निरन्तर शिष्य का अज्ञान दूर करने के लिये मन से चेष्टा करते रहते है। गुरु के बराबर दयालु, उनके बराबर हितेषी जगत में कोई नहीं है। गुरु कृपा से इस संसार में सब कुछ प्राप्त हो जाता है ।

प्राचीन काल मे आज की भाँति विद्यालय, हाईस्कूल और पाठशालाएँ तथा कॉलेज नहीं थे। विद्वान् तपस्वी गुरु जगलों में रहते थे, वहीं शिष्य पहुँच जाते थे। वहाँ भी कोई नियम से मोटी मोटी कापी और पुस्तक लेकर आठ आठ- दस दस घटे पढाई नही होती थी। गुरु अपने शिष्यो को काम सौप देते थे, स्वयं भी काम करते थे। काम करते करते बातो ही बातो में अनेकों प्रकार की शिक्षा दे दिया करते थे। और किसी पर गुरु की परम कृपा हो गयी तो फिर तो कहना ही क्या उसे तो स्वयं ही सब विद्याएं आ जाती थीं।

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ऐसे ही एक आयोदधौम्य नामक ऋषि थे। उनके यहाँ आरुणि, उपमन्यु और वेद नाम के तीन विद्याथी पढ़ते थे। धौम्य ऋषि बड़े ही परिश्रमी थे, वे विद्यार्थियो से भी खुब काम लेते थे। किंतु उनके विद्यार्थी भी इतने गुरु भक्त थे कि गुरु जी जो भी आज्ञा देते, उसका पालन वे बड़ी ततपरता के साथ करते थे। कभी उनकी आज्ञा का उल्हगन नही करते थे । उनके कडे नियम के ही कारण अधिक विद्यार्थी उनके यहाँ नहीं आते थे। पर जो आये, वे तपाने पर खरा सोना बनकर ही गये। आरुणि(Guru Bhakt Aaruni), उपमन्यु और वेद ये तीनों ही विद्यार्थी आदर्श गुरुभक्त थे।

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एक दिन बहुत वर्षा हो रही थी, तभी गुरू जी ने आरुणि से कहा-बेटा आरणि । तुम अभी खेत पर चले जाओ और वर्षा मे ही खेत की मेड बॉध आओ, जिससे वर्षा का पानी खेत के बाहर न निकले। अगर सब पानी खेत से बाहर निकल गया तो फसल अच्छी नहीं होगी। पानी खेत मे ही सूखना चाहिये।
गुरु की आज्ञा पाकर आरुणि (Guru Bhakt Aaruni) खेत पर चला गया। मूसलाधार बरिस हो रही थी। खेत मे बहुत पानी भरा हुआ था, एक जगह बडी ऊँची मेड थी। वह मेड पानी के तेज बहाब से कट गयी थी। पानी उसमे से बड़ी तेजी के साथ निकल रहा था। आरुणि ने फावड़े से इधर-उधर की मिट्टी लेकर उस कटी हुई मेड पर डाली पर जब तक वह मिट्टी रखता और दूसरी मिट्टी रखने के लिये लाता, तब तक पहली मिट्टी पानी के तेज बहाव से बह जाती। आरुणि ने पानी रोकने की जी तोडकर मेहनत की, किंतु पानी का बहाब इतना तेज था कि वह पानी को रोक न सका। तब उसे बहुत चिन्ता हुई। उसने सोचा गुरु ने आज्ञा दी थी कि पानी खेत से निकलने न पाये परन्तु यहॉ तो पानी निरन्तर खेत से बाहर निकल रहा है। तब उसे एक उपाय सूझा। फावडे को रखकर वह कटी हुई मेड़ की जगह स्वयं लेट गया। उसके लेटने से पानी रुक गया। थोडी देर मे वर्षा भी बंद हो गयी। कितु आरुणि के लेटने के कारण खेत पानी भरा हुआ था। वह यदि उठता है तो सब पानी निकल जाता है, अतः वह वही पानी रोके चुपचाप लेटा रहा। वहाँ लेटे लेटे उसे रात हो गयी।

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अन्तःकरण मे सदा भलाई में निरत रहने वाले गुरु ने सन्ध्या को अपने सब शिष्यो को बुलाया, उनमे आरुणि नही था। गुरु जी ने शिष्यो से पूछा-आरुणि कहाँ है तब शिष्यो ने कहा- गुरू जी। आपने ही तो उसे प्रातः खेत की मेड बनाने भेजा था। गुरु जी ने सोचा- प्रातःकाल से अभी तक आरुणि लौट कर नहीं आया। चलो, चले, उसका पता लगाये। यह कहकर वे शिष्यो के साथ प्रकाश लेकर आरुणि की खोजने निकल पडे। उन्होने इधर-उधर बहुत ढूंढा, किन्तु आरुणि कही दीखाई नही दिया । तब गुरु जी ने जोरो से आवाज लगाई- बेटा आरुणि, तुम कहाँ हो? हम तुम्हे ढूंढ रहे हैं। जैसे ही दूर आरुणि ने गुरू जी की आवाज सुनी तब आरुणि ने दूर से ही लेटे लेटे उत्तर दिया- गुरु जी। मैं यहाँ खेत में मेड बना हुआ पडा हूँ। आवाज के सहारे सहारे गुरुजी वहाँ पहुंचे। उन्होने जाकर देखा कि आरुणि (Guru Bhakt Aaruni) सचमुच मेड बना लेटा है और खेत में पानी को रोके हुए है। तब गुरु जी ने कहा बेटा। अब तुम निकल आओ। गुरु जी की आजा पाकर आरुणि मेड को काटकर निकल आया, आरुणि को देख गुरू जी का हृदय भर आया । उन्होने अपने प्यारे शिष्य को सीने से लगा लिया, प्रेम से उसका माथा चूमा और उसे आशीर्वाद दिया- बेटा। मै तुम्हारी गुरु भक्ति से बहुत प्रसन्न हूँ। तुम्हे बिना पढे ही सब विद्या आ जायगी, तुम जगत मे यशस्वी और भगवद्भक्त होओगे। आज से तुम्हारा नाम उद्दालक हुआ। वे ही आरुणि मुनि उद्दालक के नाम से प्रसिद्ध हुए, जिनका संवाद उपनिषद्म में आता है।

Hindi Stories with Moral:-  इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें हमेशा अपने गुरू की आज्ञा का पालन सदैव करना चाहिए अगर गुरू जो भी कहे उससे हमेशा कल्याण ही होता है और हमेशा गुरू का सम्मान करना चाहिए तभी भगवान भी खुश होते है।

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